अच्छे स्वभाव क्या है ? और इसे कैसे अपने जीवन मैं शामिल है? How to Build Positive Thoughts?
हमारी सोच हमें सुख या दुख का अनुभव करता है और हमारे कर्म की स्थिति को भी निर्धारित करता है। तो इसीलिए अपने सोचने के प्रति आपको निंरतर ध्यान देना चाहिए है। यदि हमारे सोचने का तरीक़ा नकारात्मक होगा तो हमें हमेशा दुख और निराशित का अनुभव होता रहेगा। और ये ध्यान दीजिए की सकारात्मक ऊर्जा से भरा मन और मक्तिष्क हमेशा अच्छा और बेहतर सोचता है। जिससे आपके काम अच्छी और बेहतर तरीक़े से होते है। तो हमें सदा-सर्वदा के लिये सकारात्मक ही सूचना चाहिए। जैसे;
अपने और अपने आस-पास के पर्यावरण के ऊपर प्रतिज्ञान रहना।
जब भी आप कोई काम करें तो अपने मन-मक्तिष्क के ऊपर आपको प्रतिज्ञान होना चाहिए। जैसे कुछ ग़लत करते समय आपको यह पता होता है कि वो ग़लत है फिर भी कोई नकारात्मक भावनावों के प्रभाव मैं आप वो कर देते है और वो जिससे आपको अपनी जीवन मैं परेशानी ही होगी। तो अपने मन और मक्तिष्क को आप हमेशा अपने सकारात्मक तरीक़े से करते जाये इससे आपका वर्तमान और भविष्य सुडार होगा।
अपने भविष्य की ओर आशावादी बने रहना।
आपको अपने जीवन मैं जैसी भी सफलता पानी है उसके लिये आप हमेशा तयार रहे जैसे कोई आपको उद्ध पर जाना है और आपको उसके लिए शास्त्रात्र की आवश्यकता होगी। उसी तरह से आपको अपने जीवन मैं सफल बनने के उद्देश को निरंतर आपको ध्यान रखने का काम करना पड़ेगा। इससे आपकी सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
हमेशा सकारात्मक भावनावों के प्रति प्रेरित रहना।
इसका अर्थ है आपको कभी नकारात्मक नहीं सोचना और अपने विचारों को नियंत्रण मैं रखना की वो किसी भी तरह का बुरा ना सोचें।
भगवान और अपने आस-पास के लोगों के प्रति कृतज्ञ रहना।
आपको यह मनुष्य जीवन अपने किये गए पुण्य को हिसाब मैं रख के मिला है। तो आप इस जीवन का आपको मिलने के लिए भगवान और आपके माता-पिता और बहन-भई इत्यादि लोगों के लिए आपको उनकी कृतज्ञ रहना चाहिए। इसके कारण आपके जीवन मैं आपको उदारता की भावना जन्म लेगी है।
अपने आचरण मैं करुणापूर्वक होना।
बिना करुणा का मनुष्य केवल एक जानवर के भाती होता है। जिसको केवल अपनी और अपने फ़ायदे की पड़ी होती है। जो व्यक्ति अन्य के बारे मैं हित नहीं सोच पाता वो व्यक्ति ख़ुद के लिए भी कुछ बड़ा अवसर नहीं अर्जित कर पाता है। जैसे अगर एक किसान ना सिर्फ़ अपने लिए अनाज उगाता है बल्कि पूरे संसार के लिये। ऐसे ही आप अन्य के प्रति करुणा भाव रखते है तो आप का जीवन और आपके मन को शांति मिलती है।
अपने आपको सकारात्मक भावनावों से देखना।
आपको अपने-आप के लिये भी सकारात्मक विचार रखना चाहिए। जैसे मैं धैर्यशाली हूँ, मैं हार नहीं मानता। मैं एक भगवान से जुड़ा हुवा व्यक्ति हूँ और वो मरी हमेशा ही मदद करेंगे।
समाधान आधारित सोच रखना।
आपको किसी भी स्थिति मैं उद्विग्न नहीं होना चाहिए। अपने मन को शांत और एकचित्त रख के आपके समस्यवों पर समाधान पूर्वक सोच रखनी है।
अपने आप और अपने पर्यावरण के प्रति प्रसन्नित रहना।
अपने आप और अपने आस-पास के पर्यावरण को नकारात्मक दृष्टि से देखना और उसे कोसते रहते है इसकी हमें कमी है या हमें जीवन से कुछ और अपेक्षा थी इत्यादि से आपकी शांति को व्याकुल कर देता है। इसीलिए आपको हमेशा ही
सकारात्मक मानसिका को बढ़ाना।
आपको अपनी सकारात्मक मानसिकता को बढ़ाने के लिए आपको ध्यान और श्रद्धा मैं रहना पड़ेगा इससे आपके मन-मक्तिष्क को शाती होगी आप को किसी भी तरह से परेशानी नहीं होगी। क्योंकि हमें दुख-दर्द का हेहसास हमें अपने मन की स्थिति से होती है ना की हमारे बाहरी पहलू से। तो आपको आपकी मानसिकता को सकारात्मक रखना सिखाना पड़ेगा।
क्षमा भाव रखना।
किसी व्यक्ति या परस्तिति आपके मन को दुखता है तो आप उसके प्रति आपके मन मैं द्वेष और घ्राणा पैदा हो जाती है। आपको अपने आप को इस द्वेष और घ्राणा से मुक्त करने के लिए आप उस समय मैं उस व्यक्ति से हुई गलती या परिस्तिति को समझें वो चाहे उस कार्य को उसने क्यों जान के ही क्यों ना किया हो। उसको आपको क्षमा कर देना चाहिए ताकि आप अपने जीवन को शांत रूप से बितायें। और यहाँ में शत्रु को क्षमा करने से मतलब रखता हूँ ना की उसे फिर से अवसर दे कि वो आपके मन को परेशान करें। आप उनसे दूर हुजाये।
प्रेम करना।
जहां पे सच्चा प्रेम है वहाँ किसी भी तरह की नकारात्मक भवनों एक दूसरे के लिए नहीं आयेगी जेल अपने माँ अपने बच्चों के लिए कभी भी बुरा नहीं चाहेंगी। जैसे एक बच्चा अपनी माँ को बचपन मैं बहुत परेशान करता है जो बोला गया है वो नहीं सुनता फिर भी उसकी माँ उसे प्यार से ही समझा लेती है। इसी तरह से आपको भी अपने आस-पास के लोगों के प्रति प्रेम भावना रखना है जिससे आपको आपको किसी भी व्यक्ति के प्रति ग़ुस्सा, निरादर या कोई द्वेष जैसी नकारात्मक सोच नहीं पैदा होगी और आप कुश रहेंगे।
सतुष्ट होना।
अपने जीवन मैं आपको सतुष्ट रहना बहुत ही अनिवार्य काम है क्योंकि आपके मन की स्थिति, आपके सेहत पर बहुत प्रभाव करता है। इसलिए चाहे वो अपना काम हो, चाहे वो आपके व्यावहारिक परिस्तिति हो या फिर आपके आस-पास का पर्यावरण। आपको अपने आप से और अपनी परिस्तितियों से संतुष्ट रहना सिखाना होगा। इसका ये अर्थ नहीं कि आप अपने आप और अपनी पारिस्तिकी को बेहतर नहीं बनायेंगे इसका यह अर्थ है कि अपने परिस्तिति को समझ के उसे बेहतर की ओर बढ़ना जीवन का नाम है।
तो अपने मन-मक्तिष्क को सकारात्मक भावनावों की ओर रखने आप अपने जीवन और मन को बेहतर बनायेंगे और आपकी जीवन का जो यात्रा है उसे सुगम और सुंदर बनायेंगे।
तो मिलते है फिर से एक नयी जानकारी के साथ जो आपको अपने जीवन मैं मदद हो और आप अपना जीवन बेहतर से बेहतर तरीक़े से जियें।
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