अपने वर्तमान मैं कैसे जिये? How to Live in Present?
हम सब अधिकतर अपनी सोच को भूतकल मैं किये गए अनुभवों या भविष्य के संभावना को समझने मैं ही अपना वक्त बिता देते है। भूतकाल मैं जो भी हुआ है उसको हम अपने दिमाग़ मैं इस तरह से संचयन कर लेते है की हम अपना वर्तमान और भविष्य को भी अपने उन भूतकाल हुवे अनुभवों के ऊपर और भविष्य के डर से तय कर लेते है। जिसका भुगतान हमें हमारी वर्तमान को चुकाना पड़ता है। तो हमें यहाँ दो चरणों को समझना पड़ेगा की कैसे हम हमारी पहली चरण भूतकल को सँभालना है और भविष्य के लिए अपना दृष्टिकोण कैसे रखना है।
पहला चरण: भूतकाल को कैसे सम्भालें ?
जब हम भूतकाल मैं हुवे किसी भी संधर्भ को हम याद करते है तो आप उसी वक्त जो वर्तमान है, उसे आप व्यर्थ कर रहे होते हो। अगर आप किसी भूतकाल के सकारात्मक संधर्भ को याद करते हो तो कुछ ही क्षणों के लिए वो आनंदित होगा पर उस समय आप अपने वर्तमान मैं करनेवाले विचार या काम को नहीं कर रहे होते हो। यदि आप भूतकाल के नकारात्मक संधर्भ को याद करते हो तो ये आपके दिमाग़ी सेहत के बहुत ज्यादा हानिकारक होगा। क्योंकि की एक तो आप भूतकाल मैं हुवे नकारतामक संधर्भ को याद करके अपनी वर्तमान को हानि पहुँचा रहे है। और आप अपने आज के मनोशांति को भी आप बिगड़ रहे है।
अपने भूतकाल से आप जो कुछ भी अनुभव या सीखना था वो अपने कर लिया, आपको अभी उसे भूल जाना है। तो यह आप कैसे करेंगे? इसका उत्तर बहुत ही आसान है अपने आपको वर्तमान के कार्यों मैं व्यस्त रखने और अपने विचारों को आपके अधीन रखने से आप वर्तमान मैं रहना शुरू कर लेते हो। इसका उत्तर तो काफ़ी आसान था पर इसे करने के लिए आपको हर दिन इसका अभ्यास करना पड़ेगा। मन-मक्तिष्क मनुष्य के इतने चंचल होते है की यह सूरज की रोशनी से ज्यादा और हवा से तेज होती है। इसको आप सिर्फ़ एक बार के लिए नहीं बजाय बार-बार करनी पड़ती है। ये हमारे जीवन का सबसे कठिन कार्य कई पर असंभव नहीं है।
दूसरा चरण: भविष्य के लिए अपना दृष्टिकोण कैसे रखें ?
ऐसा कोई भी मनुष्य नहीं होगा जिसको अपनी भविष्य की चिंता नहीं होगी। हर व्यक्ति अपने लिए या अपने परिवार के सदस्यों के लिए चिंतित रहता है। और कुछ लोग अपने आशाओं के पीछे दौड़ते रहते है। जैसे चूहा दौड़ता है अपने आहार के लिए, जो की एक आशा के ख़त्म होते ही दूसरा शुरू हो जाता है। इसी तरह से अंतहीन और निरंतर आशाओं के चक्र मैं फस जाते है। अभी के परिस्तिथि मैं तो मनुष्य को भविष्य के प्रति इतना डर बना रहता है कि वो उसके लिए वर्तमान को बिगाड़कर भविष्य मैं होनेवाले दुर्घटना के समय, ज्ञान और धन को व्यर्थ करता है। जैसे भविष्य के बारे मैं सोच-सोच कर, अपना वर्तमान का समय व्यर्थ करना, जो व्यक्ति अपना काम या ज्ञान को वर्तमान मैं अर्जित कर सकता था वो अपने भविष्य के बारे मैं सोचकर अपना समय और ऊर्जा को व्यर्थ करता है। और धन को वो अनधेखी अपदा के संधर्भ को टालने के लिए व्यर्थ करता है।
अपने भविष्य को आप समझने के लिए आपको आपका वर्तमान और उसके पहलू समझने पड़ेंगे जैसे वर्थमान मैं आप, आपका पर्यावरण और आपके आस-पास रहनेवाले लोग। जिससे आपका भविष्य तय होगा। इस कड़ी मैं आप अपने आपको पहली कड़ी माने क्योंकि आपका स्वयं का ज्ञान, सकारात्मक ऊर्जा, आपके किए निर्धार और आपके कार्य ही है जो आपका भविष्य तय करती है। दूसरी कड़ी है आपका पर्यावरण, इसका आपके सोच और विशार पर प्रभाव पड़ता है जैसे आप एक शांत वातावरण मैं है तो आपका मन शांत होगा और इससे आप और आपका मन-मक्तिष्क सही दिशा मैं काम करेंगे। तो आपको अच्छा भविष्य आना ही है। तीसरा कड़ी है आपके आस-पास के लोग, आप जब दिन के ज्यादातर काम या बात-चित जिस व्यक्ति से करते है अगर वो और उनकी ऊर्जा सकारात्मक होगी तो आपका वर्तमान मैं करनेवाले काम, आपका ख़ुद का मानसिक स्तर सकारात्मक होगा। इससे आपका वर्तमान और भविष्य दोनों सही होते चले जाएँगे।
अंततः
आपको हमेशा अपने मन-मक्तिष्क और उसके सोच पर ध्यान देना होगा। जैसे मैं यदि कोई कार्य मैं व्यस्त नहीं हूँ तो मेरा दिमाग़ क्या सोच रहा है? अपने सोच को हर समय पर सकारात्मक सोचने और वर्तमान मैं सोचने के लिए प्रवृत्त करने का आपको अभ्यास करना पड़ेगा गा। जैसे मैं उल्लेख किया ये हम एक दिन मैं नहीं बजाय हमें निरंतर करना पड़ेगा। तब जाके हमारे मक्तिष्क के काम करने के तरीक़े को हम सुधार सके है। और भविष्य के बारे मैं ज्यादा ना सोचके वर्तमान के कार्यों को अच्छी तरह से करते हुवे हम निश्चिंत और सकारात्मक भावनाओं के साथ अपने मन-मक्तिष्क को नियंत्रण मैं रखेंगे और वर्तमान मैं सारे पहलू को अच्छी तरह से समझके काम करते और अपने आपको व्यस्त रखेंगे तो हमारा भविष्य भी बहुत अच्छा और सुंदर रहेगा। आप बस बिना भूतकाल के बारे मैं सोचते हुवे और वर्तमान के कार्य को सकारात्मक ऊर्जा के साथ करते जायें तो आपका भविष स्वयं सुधार जाएगा। आपको उसकी चिंता करने की अव्यशकता ही नहीं पड़ेगी।
तो मिलते है फिर से एक नयी जानकारी के साथ जो आपको अपने जीवन मैं मदद हो और आप अपना जीवन बेहतर से बेहतर तरीक़े से जियें।
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