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ध्यान (Meditation):

Meditation

इस प्रतियोगिता भरे जीवन मैं जहां ग़ुस्सा, चिंता, तनाव, ईर्षा, अपेक्षा, तुलना, डर और अहंकार जैसे नकारात्मक सोच हमारी मन-मक्तिष्क को गहरने के लिए तत् पर रहते है। जिससे हमारा जीवन अशांत और निराशित हो जाता है। इन नकारात्मक भरे जीवन को सुधार ने के लिये और हमारे मन को सुख-शांति देने के लिए हमें ध्यान लगाना आना चाहिए।

ध्यान (Meditation) लगाना क्या होता है और इसे हम कैसे करें?

ध्यान लगाने का अर्थ यह है कि आप अपने ध्यान यानी सोच को किसी एक वस्तु, विचार या अपने इष्ट देव पर केंद्रित करके सिर्फ़ और सिर्फ़ उसके ही प्रति सोचना होता है। ये आप जितनी भी देर तक करेंगे उतना आपको लाभ होगा। शुरू मैं आप इस क्रिया को तिन minute के लिए और धीरे-धीरे उसे आप आधे गंठे तक करना शुरू करें।

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ध्यान लगाने की प्रक्रिया को हम कैसे करें?

शुरुवात मैं हमें ध्यान लगाने के लिए थोड़ी कठिनाई होगी और अगर हम पूरे निष्ठा और मन-मक्तिष्क के साथ करेंगे तो हमें इसकी आदत होती जायेगी। इसे करने के लिए आपको नीचे लिखे उल्लेखित बातों को याद करना है।

  1. एक समतल भूमी के ऊपर और पूर्व दिशा की ओर अपना चेहरा करके चटाई के ऊपर भैठाना चाहिये।
  2. जगह जो पूर्ण रूप से शांत और एकांत हो, उस जगह में आपको ध्यान लगाने का अभ्यास करना चाहिए।
  3. आपके कपड़े आरामदायक होने चाहिए, यह आपके शरीर को तनाव मैं ना डालें।
  4. आपको एक सतर्क आसन मैं बैठना चाहिए नकी आरामदायक, क्योंकि शुरुवात मैं आपको आलस और नींद आने लगता है। सतर्क आसन का मतलब है, कि आप अपने रीड की हड्डी को सीधा करके अपने सिरको ऊँचा और सीधा रखने से रखता है।
  5. ध्यान लगाने के शुरुवात मैं आप अपनी आँखों को बंद रखें और ध्यान लगाना आरंभ करें। और जब आपको इसका अभ्यास होगा तो आप अपनी आँखों को खुला रखें और नाक के चोटी को देखें। याद रहें आपकी सोच या ध्यान हमेशा एक चित्त होना चाहिए।
  6. ध्यान लगाने से कुछ क्षण पहले आप अपनी साँस को धीमे और शांत गति मैं लायें और अपने उस एक वस्तु जो अपने मन मैं सोचा है, विचार या फिर अपने इष्ट देव की तस्वीर अपने मन मैं लायें और उसपे ही अपना संपूर्ण ध्यान केंद्रित करके उसी के बारे मैं सोचते रहे।
  7. अपने mobile मैं timer भी set कार्ड ताकि कि आपको समय के बारे मैं चिंता ना हो।
  8. याद रखिए ध्यान के समय आपको हमेशा सतर्क पर शांत भाव के साथ और सकारात्मक ही सूचना है। अर्थात् की आपका मन-मक्तिष्क को विचारों के बहाव मैं नहीं बल्कि अपने सोच जो अपने तय किया है उसिके ओर लगाना है।
  9. जब ध्यान लगाना समाप्त करते है तो धीरे से अपनी आँखें खोले और दो से तीन minute तक आप शांत बैठे रहे और उसके बाद में उठें।
  10. और बाक़ी के दिन मैं आपको यह स्तिथि जो अपने मन-मक्तिष्क मैं पैदा किया है। उसे अपनी दिन भर के कामों से खोने ना दे। इसे बचाये रखने का भी प्रयत्न करें।

इस तरह से ध्यान करने से आप अपने मन-मक्तिष्क को शांत रखेंगे और आप को किसी भी तरह के नकारात्मक ऊर्जा आपको परेशान नहीं करेंगे।

हम अपने जीवन मैं यह ध्यान लगाना क्यों करना चाहिए और इसके फ़ायदे क्या है?

ध्यान (Meditation)

  1. हमें ध्यान लगाने से हमारी मानसिक ही नहीं बल्कि शरीक और आध्यात्मिक सोच में वृद्धि होती है। हम अपने जीवन मैं कभी भी अपने मानसिक सदृड़ता के ऊपर ध्यान नहीं देते पर ध्यान लगाने से हमें हमारी मानसिक सदृड़ता प्राप्त होती है। जैसे धैर्य, साहस, करुणा, शांति, प्रेम और सकारात्मक सोचने का तरीक़े को बढ़ावा देता है।
  2. ध्यान लगाने से आपकी व्यक्तित्व संपूर्ण रूप से परिशुद्ध तरीक़े से उभरता है। जिससे आपके आस-पास के लोग आपको और आपके व्यक्तित्व को सराहते है। जैसे स्वामी विवेकानंद जी और उनके गुरु श्री रामकृष्ण परमहंसा जी।
  3. आप अपने दिन भर के काम और आपका सभी से बोलने और व्यवहार का तरीक़े सुधरता है।
  4. इससे आपके एकाग्रता, सृजनता और मासिकता मैं सकारात्मक ऊर्जा का भराव होता है।
  5. ये आपको शरीक लाभ या फ़ायदे भी देती है जैसे की आपका प्रतिरक्षक शक्ति (Immune system) मैं वृद्धि होती है।
  6. बीमारियों जैसे रक्तटाप, अच्छी नींद और दमा से छुटकारा मिलता है।
  7. ध्यान को लगाने से आपको आध्यात्मिक की ओर भी ले जाता है, जैसे आपका अपने जीवन, भगवान और संसार के प्रति कृतज्ञ होना, अच्छी बुद्दी का होना और आत्मा का परमात्मा से एक जोड़ पैदा करना।

 

इस बढ़ते कलियुग के पापों से अपने आप और आपने आत्मा को बचाने के लिए ध्यान लगाना और एक सिद्दा स्तिथि को पाने मैं ये हमारी सहायता करता है।

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मैंने केवल एक ध्यान के तरीक़े का उल्लेख किया है कि ध्यान लगाने के तो कई और भी तरीक़े है जैसे मंत्रा जपना, योगा करना और कई तरीक़े है जिससे हमें इसका लाभ होगा। और इतना ही नहीं ये हर एक व्यक्ति के ऊपर अलग-अलग तरीक़े से प्रभाव पड़ता है, जैसे मैंने दूसरे point मैं लिखा है कि अपने ख़ुद के व्यक्तित्व को संपूर्ण रूप से निखरता है, इसका अर्थ यहीं है। जैसे आपको पता है कि हर एक व्यक्ति अपने गुणों और अवगुणों से पैदा हुवा होता है। उसके कर्म अनुसार उसे लाभ या हानि होती है। जब आप ध्यान लगाते हो तो अपने मन-मक्तिष्क को सदा के लिए सकारात्मक सोच पर ही केंद्रित करें।

 

तो मिलते है फिर से एक नयी जानकारी के साथ जो आपको अपने जीवन मैं मदद हो और आप अपना जीवन बेहतर से बेहतर तरीक़े से जियें।

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